![]() |
जेनिफर रीसर |
अपने
पहले कविता-संग्रह के लिए “वर्ड प्रेस”
पुरस्कार से सम्मानित जेनिफर रीसर (जन्म : 1968, लुइसियाना) अमेरिकी कवयित्री और लेखिका हैं। जेनिफर
की कविताओं में एक बेचैन मुहावरा नई अभिव्यक्ति के साथ प्रकट होता है। जेनिफर अपने
में एक जंगल समेटे बारिश की प्रतीक्षा करती हुई रचनाकार हैं। जब बारिश आती है, तो स्मृतियों के सारे टाँके खुल जाते हैं। फैलता हुआ जंगल समंदर की ओर
बढ़ने लगता है। फिर समंदर में एक सिहरन पैदा होती है। यही सिहरन कविता में मूल
ध्वनि बनकर उभरती है, जिसे शब्दों की सुगबुगाहट के बीच महसूस
किया जा सकता है। प्रस्तुत हैं जेनिफर रीसर की कुछ
कविताएँ : बीइंग पोएट
स्मारिका
कई सुबहों की नींद मेरे
आसूँओं में खुलती है
जागता हूँ एक स्वप्न से
स्वप्न, जिसमें मैं उसकी कब्र पर रो रहा होता हूँ
लेकिन वह हमेशा वहाँ थी, सुरक्षित और मजबूत
पाउडर या ओरिएंटल मसाले के साथ सुगंधित
सही शब्द और एक ठंडे आराम के साथ—
केवल प्यार, जो मैंने हमेशा बहुत समय तक किया।
जागता हूँ एक स्वप्न से
स्वप्न, जिसमें मैं उसकी कब्र पर रो रहा होता हूँ
लेकिन वह हमेशा वहाँ थी, सुरक्षित और मजबूत
पाउडर या ओरिएंटल मसाले के साथ सुगंधित
सही शब्द और एक ठंडे आराम के साथ—
केवल प्यार, जो मैंने हमेशा बहुत समय तक किया।
बिछुड़ने का ढंग
उन्होंने मुझसे कहा—
उसे हमारे बिछुड़ने का ढंग सिखाना था
कि विदाई एक लंबी चुप्पी के साथ होती है,
तब कॉफी का भाप हवा के खिलाफ उड़ने दो।
उसे देखना ही रोज़गार था लेकिन—
आख़िर क्यों दो नीली आँखें अनंत चीज़ें हो जाती हैं,
और विभिन्नताएँ मतभेद को जन्म देती हैं?
शहर हमारे चमकीले इतिहास से नामालूम लगता है
उसकी तुलना में मुझे ज़्यादा पता है
शोकगीत जो अपने पंखों में इंतजार करता है;
लेकिन, आधी रात के बाद
शब्द और प्रेम बाँटते हैं अपनी उदारता
तनाव मुक्त रहने के लिए
और छतों पर चमकते हुए—मध्यम—
जलते हुए स्ट्रीटलैम्प रास्तों पर भटकने से बचाते हैं
जब तक कि उसकी रोशनी उसे दृष्टि नहीं दे देती।
उसे हमारे बिछुड़ने का ढंग सिखाना था
कि विदाई एक लंबी चुप्पी के साथ होती है,
तब कॉफी का भाप हवा के खिलाफ उड़ने दो।
उसे देखना ही रोज़गार था लेकिन—
आख़िर क्यों दो नीली आँखें अनंत चीज़ें हो जाती हैं,
और विभिन्नताएँ मतभेद को जन्म देती हैं?
शहर हमारे चमकीले इतिहास से नामालूम लगता है
उसकी तुलना में मुझे ज़्यादा पता है
शोकगीत जो अपने पंखों में इंतजार करता है;
लेकिन, आधी रात के बाद
शब्द और प्रेम बाँटते हैं अपनी उदारता
तनाव मुक्त रहने के लिए
और छतों पर चमकते हुए—मध्यम—
जलते हुए स्ट्रीटलैम्प रास्तों पर भटकने से बचाते हैं
जब तक कि उसकी रोशनी उसे दृष्टि नहीं दे देती।
संदेहयुक्त
प्रेम को परखने के लिए...
अपने संदेहयुक्त प्रेम को
परखने के लिए, मैं खूब रोई,
और निराशा के आनंद से झन्ना उठी,
अतीत के अपमान में उल्लसित हुई,
फिर बालों के बीच उगते सबसे नए सफ़ेद बाल को छुआ,
अंततः तुम्हारे तिरस्कृत दिनों के साथ ख़ुश मिली,
जितना उनके बस में था, उन्होंने मेरा ध्यान रखा
कई-कई तरीकों से जो वे कर सकते थे
मैं सपनाती हूँ कि तुम मेरे लिए मर भी सकते हो, चोट खा सकते हो
तुम्हारी चुप्पी मुझे घाव नहीं देगी,
और घृणा के शब्द तुम प्रयोग नहीं करोगे
मधुमक्खियों और पक्षियों से बचाओगे,
जब तक कि तुम कह नहीं देते—मैं संतुष्ट हूँ,
मेरी परिस्थिति में एक रंग खोजने के लिए
जो कुछ-कुछ प्रतिशोध की मिठास की तरह हो।
और निराशा के आनंद से झन्ना उठी,
अतीत के अपमान में उल्लसित हुई,
फिर बालों के बीच उगते सबसे नए सफ़ेद बाल को छुआ,
अंततः तुम्हारे तिरस्कृत दिनों के साथ ख़ुश मिली,
जितना उनके बस में था, उन्होंने मेरा ध्यान रखा
कई-कई तरीकों से जो वे कर सकते थे
मैं सपनाती हूँ कि तुम मेरे लिए मर भी सकते हो, चोट खा सकते हो
तुम्हारी चुप्पी मुझे घाव नहीं देगी,
और घृणा के शब्द तुम प्रयोग नहीं करोगे
मधुमक्खियों और पक्षियों से बचाओगे,
जब तक कि तुम कह नहीं देते—मैं संतुष्ट हूँ,
मेरी परिस्थिति में एक रंग खोजने के लिए
जो कुछ-कुछ प्रतिशोध की मिठास की तरह हो।
एक दोस्त के लिए
जो ख़ामोश हो गया
मैं नहीं जान सकती कि
कौन-सी वजह
तुम्हें ख़ामोश रहने के लिए उकसाती है
लेकिन जब मैं डाकिया के आने का इंतज़ार करती हूँ
मुझे याद आती है तुम्हारी हँसी
जो पुराने नए ऑरलियन्स के संस्कार में है,
एक रेशमी रवैया के पूरक के रूप में
जिसने मुझे उस दिन तुम्हें दोस्त कहने पर मजबूर किया।
तुम्हें ख़ामोश रहने के लिए उकसाती है
लेकिन जब मैं डाकिया के आने का इंतज़ार करती हूँ
मुझे याद आती है तुम्हारी हँसी
जो पुराने नए ऑरलियन्स के संस्कार में है,
एक रेशमी रवैया के पूरक के रूप में
जिसने मुझे उस दिन तुम्हें दोस्त कहने पर मजबूर किया।
‘वियुक्स
कैरे’ के साथ एक खुली हुई दुकान में
जो मुझे एक तरल उदारता में बाँधे हुए है
तुम वहाँ आए, एक काले और मोती जड़े पोशाक को
नए ढंग से बनवाने के लिए
वहाँ कोई अंगूठी नहीं थी
जो एक-तिहाई हवा के साथ उड़ जाती
पत्थरी बटन ठहरे थे
जैसे तुम्हारे पदचाप का आभास हो गया था
और फिर, जैसा कि अब कोई पक्षी गाने के लिए नहीं है
जैसे यह प्रेम की परकाष्ठा थी जो मैंने एक दोस्त से सुनी थी।
जो मुझे एक तरल उदारता में बाँधे हुए है
तुम वहाँ आए, एक काले और मोती जड़े पोशाक को
नए ढंग से बनवाने के लिए
वहाँ कोई अंगूठी नहीं थी
जो एक-तिहाई हवा के साथ उड़ जाती
पत्थरी बटन ठहरे थे
जैसे तुम्हारे पदचाप का आभास हो गया था
और फिर, जैसा कि अब कोई पक्षी गाने के लिए नहीं है
जैसे यह प्रेम की परकाष्ठा थी जो मैंने एक दोस्त से सुनी थी।
मैक्सिम के लिए
गाथा
मैंने सपने में उसे मरते
हुए, जहां उसके सभी छोटे अंगों ने—
एक खिड़की के निकट ही आत्मसमर्पण कर दिया
युद्ध के लिए जिसे मैंने न तो प्यार किया नहीं नाम जाना—
उन लोरी और भजन से बहुत दूर रखा
मैंने उसे एक आख़िरी बार प्रतिज्ञा में गाना चाहा,
वह दूरी, अपने आप में, स्वप्न में बदल गया।
उसके चेहरे और मासूमियत को छूना
मेरी आत्मा की आवश्यकता बन गई, मेरी एकमात्र सनक,
तबतक, जबतक कि वह पहुंच के दूसरे किनारे पर खुल नहीं गया
अपने सिसकने से मैं शर्मिंदा और शोक से भर उठा
उससे भी बढ़कर एक वैश्विक योजना में,
वह एक छोटी-सी जगह के लिए तड़पा जहाँ मरना था।
लेकिन ज्यादातर लड़ाई के बाद, यह प्रतीत हुआ
किसी ने उसे नहीं देखा और न कोई उसके लिए रोया।
एक खिड़की के निकट ही आत्मसमर्पण कर दिया
युद्ध के लिए जिसे मैंने न तो प्यार किया नहीं नाम जाना—
उन लोरी और भजन से बहुत दूर रखा
मैंने उसे एक आख़िरी बार प्रतिज्ञा में गाना चाहा,
वह दूरी, अपने आप में, स्वप्न में बदल गया।
उसके चेहरे और मासूमियत को छूना
मेरी आत्मा की आवश्यकता बन गई, मेरी एकमात्र सनक,
तबतक, जबतक कि वह पहुंच के दूसरे किनारे पर खुल नहीं गया
अपने सिसकने से मैं शर्मिंदा और शोक से भर उठा
उससे भी बढ़कर एक वैश्विक योजना में,
वह एक छोटी-सी जगह के लिए तड़पा जहाँ मरना था।
लेकिन ज्यादातर लड़ाई के बाद, यह प्रतीत हुआ
किसी ने उसे नहीं देखा और न कोई उसके लिए रोया।
मैं फिर अनंतकाल को मनन करती रही हूँ
जब तक मैं एक छोटी-सी
बच्ची थी,
रात में अपने बिस्तर पर एक चुप्पीपन रखती थी
देखने के जिद्द में
अनंत काल के दूरतम निशानों को
जब तक मेरे दिमाग़ में
दिन पर दिनों का अम्बार नहीं लग जाता
प्रत्येक क्षण एक-दूसरे पर चढ़ जाता
मेरे भीतर एक लकवा-सा डर समा जाता
मैं उन बेसब्र विचारों को उलटती-पलटती रहती
जानते (समय में) हुए कि ये हमेशा नहीं रह सकते।
रात में अपने बिस्तर पर एक चुप्पीपन रखती थी
देखने के जिद्द में
अनंत काल के दूरतम निशानों को
जब तक मेरे दिमाग़ में
दिन पर दिनों का अम्बार नहीं लग जाता
प्रत्येक क्षण एक-दूसरे पर चढ़ जाता
मेरे भीतर एक लकवा-सा डर समा जाता
मैं उन बेसब्र विचारों को उलटती-पलटती रहती
जानते (समय में) हुए कि ये हमेशा नहीं रह सकते।
उन पलों के बाहर प्रतिमान
तलाशते हुए,
मैं हमेशा घंटों तक लगातार सोचने के लिए मजबूर थी
जैसे बच्चे अपनी ग़लतियों के लिए प्रायश्चित नहीं करते
आत्मविश्लेषण के लिए ‘सॉरी’ से ज़्यादा नहीं,
फिर सोने के लिए
बिस्तर के बगल में जलती मोमबत्ती बंद करती,
इस भरोसे के साथ कि इसके प्रकाश की अनुपस्थिति बनी रहेगी।
मैं हमेशा घंटों तक लगातार सोचने के लिए मजबूर थी
जैसे बच्चे अपनी ग़लतियों के लिए प्रायश्चित नहीं करते
आत्मविश्लेषण के लिए ‘सॉरी’ से ज़्यादा नहीं,
फिर सोने के लिए
बिस्तर के बगल में जलती मोमबत्ती बंद करती,
इस भरोसे के साथ कि इसके प्रकाश की अनुपस्थिति बनी रहेगी।
नीचे उतरना
दिन, कुमुदनी को घेरे रहता है
और उसके पेड़ों के छालों को धागे में गूँथकर
सुबह का डोला बर्फ के बीच से निकलता है
अंगूँर की पतली और ताज़ा बेलों पर
जैसे मैं तुम्हें छूती हूँ घुटनों पर किसी और समय में जागते हुए
जब ओस की बूँद हवाओं के साथ बहती है।
और उसके पेड़ों के छालों को धागे में गूँथकर
सुबह का डोला बर्फ के बीच से निकलता है
अंगूँर की पतली और ताज़ा बेलों पर
जैसे मैं तुम्हें छूती हूँ घुटनों पर किसी और समय में जागते हुए
जब ओस की बूँद हवाओं के साथ बहती है।
जीवन का पता देता यह मुलायम
चांदी जैसी जोड़
हमारे दशकों के झुकाव में अब आसानी से मुड़ जाता है
और अगर मैं एक बार फिर अकेली हुई,
मैं तुम्हें चुनना पसंद करूँगी
जहाँ शाम और वादा एक दूसरे से मिलते हैं
जहां आत्मशक्ति मजबूत और प्रत्यक्ष हो जाती है।
हमारे दशकों के झुकाव में अब आसानी से मुड़ जाता है
और अगर मैं एक बार फिर अकेली हुई,
मैं तुम्हें चुनना पसंद करूँगी
जहाँ शाम और वादा एक दूसरे से मिलते हैं
जहां आत्मशक्ति मजबूत और प्रत्यक्ष हो जाती है।
मैंने तुम्हें देखा है,
चुप्पी के सियाह दिल में,
जीवित चाकुओं के धार से तुम्हारे हाथ मुक्त है
चाहती हूँ कि मासूमियत हमेशा झाड़ती रहे
तुम्हारे उत्तल जीवन की अभिव्यक्तियों के खिलाफ,
तनाव और संघर्ष को कम करने के लिए।
जीवित चाकुओं के धार से तुम्हारे हाथ मुक्त है
चाहती हूँ कि मासूमियत हमेशा झाड़ती रहे
तुम्हारे उत्तल जीवन की अभिव्यक्तियों के खिलाफ,
तनाव और संघर्ष को कम करने के लिए।
मैंने देखा है तुम्हारी
सोती हुई आँखों को,
ऐसा लगा जैसे मुलायम पलकें
मेरी उंगलियों को आकर्षित कर रही हैं,
परिदृश्य की धुँधली छाया को जानने के लिए,
उनकी नीली झपकियों और सिकुड़ती हुई दृष्टि
जैसे सपना बढ़ता है।
ऐसा लगा जैसे मुलायम पलकें
मेरी उंगलियों को आकर्षित कर रही हैं,
परिदृश्य की धुँधली छाया को जानने के लिए,
उनकी नीली झपकियों और सिकुड़ती हुई दृष्टि
जैसे सपना बढ़ता है।
मैंने मूक विचारों की
शून्यता में कामना की है,
कि समय का स्नान दुःख को माँज दे,
उम्मीद है पलों में बहता पानी खरीद ले
हमें एक साथ धो दे एक आने वाले शुद्ध कल में—
ताकि हम ख़ुशी खरीद सकें न कि उधार लें—
साफ चिंताओं, पट्टियों को लगातार खंगाल सके,
क्षणभंगुरता से एक साधारण दिन की ओर।
कि समय का स्नान दुःख को माँज दे,
उम्मीद है पलों में बहता पानी खरीद ले
हमें एक साथ धो दे एक आने वाले शुद्ध कल में—
ताकि हम ख़ुशी खरीद सकें न कि उधार लें—
साफ चिंताओं, पट्टियों को लगातार खंगाल सके,
क्षणभंगुरता से एक साधारण दिन की ओर।
मेरा विचार एक उघड़ते हुए
सीवन से अधिक कुछ नहीं है,
लेकिन इस पल की झपकी के बावजूद
एक ज़िद्दी सूरज और रोशनी रखता है।
लेकिन इस पल की झपकी के बावजूद
एक ज़िद्दी सूरज और रोशनी रखता है।
अनुवाद : त्रिपुरारि कुमार शर्मा
कविताओं की बिंबात्मककता, आवाज और तकलीफ अनुवाद में जैसे सुरक्षित रह गई है। ये कविताएं हमारी समकालीन तकलीफ को व्यापक, वैश्विक और कलागत बना रही हैं।
ReplyDelete